शिमला। हिमाचल प्रदेश में अब बिलासपुर, मंडी, कुल्लू और लाहुल स्पीति होते हुए लेह लद्दाख तक रेललाईन का सपना साकार होता हुआ दिखाई दे रहा है। यह रेलवे लाइन सामरिक एवं पर्यटन की दृष्टि मील पत्थर साबित होगी। अब इसकी फाइल मंजूरी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के पास गई है। जहां चर्चा के बाद फाइल पीएमओ भेजी जाएगी। रेललाइन प्रोजेक्ट की डीपीआर वर्ष 2022 में तैयार की जा चुकी है। इसके मुताबिक प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत एक लाख करोड़ से अधिक आंकी गई थी, लेकिन अब संशोधन के बाद बढ़ गई है क्योंकी रेल मंत्रालय ने एस्केप टनलों (सुरक्षा सुरंगों) का आकार बढ़ाया है, इसके कारण लागत बढ़ी है। ये टनलें रेललाइन की मुख्य टनलों के साथ बनेंगी ताकि आपात स्थिति में लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। इस परियोजना के लिए 2200 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा जिसमें 26 फीसदी यानी 572 हेक्टेयर वन भूमि शामिल है।
रेललाइन का काम चार चरणों में होगा। काम लेह की तरफ से शुरू करने की योजना है। सेना की जरूरतों को देखते हुए लेह से चीन सीमा तक करीब 13 किमी अलग ट्रैक भी बिछाया जाएगा। डीपीआर के अनुसार, करीब 62,000 करोड़ रुपये रेललाइन के पुलों और टनलों पर ही खर्च होंगे। इस परियोजना के बनने से बारालाचा पास व तंगलंगला जैसे दर्राें को पार करने से भी निजात मिलेगी। साथ ही कई घंटों का सफर भी कम होगा।
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