भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा से शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय दशहरा उत्सव
हजारों लोगों ने खींचा भगवान का रथ, 7 दिनों तक ढालपुर में होगा देव मिलन
हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू मुख्यालय ढालपुर के ऐतिहासिक रथ मैदान में भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज हो गया। भगवान रघुनाथ के रथ को हजारों लोगों ने खींचा और उसे ढालपुर मैदान तक पहुंचाया। इस दौरान सैंकड़ों देवी-देवता भी शामिल रहे। अब 7 दिनों तक यहां पर दशहरा उत्सव की धूम रहेगी। वहीं, राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी रथ यात्रा के दौरान मौजूद रहे।
भगवान रघुनाथ 3 बजे के करीब रघुनाथपुर से ढालपुर के रथ मैदान पहुंचे और वह अपने रथ में सवार हुए। वही, इस दौरान भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह और राज परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे। भगवान रघुनाथ के पुजारी ने देव परंपरा का निर्वाह किया। इस दौरान भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में माता हिडिंबा, देवता बिजली महादेव, देवता आदि ब्रह्म, देवता कार्तिक स्वामी, देवता नाग धूमल, देवता वीरनाथ, देवता बीर केला, माता गायत्री, माता त्रिपुर सुंदरी, माता काली ओडी सहित दर्जनों देवी देवता उपस्थित रहे।
इस दौरान हजारों लोगों ने जय श्रीराम के नारों के साथ भगवान रघुनाथ के रथ को खींचा। रथ मैदान से भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर तक रथ को ले जाया गया। जहां हजारों लोग भगवान रघुनाथ के रथ के सामने नतमस्तक नजर आए। इस दौरान हजारों की भीड़ भगवान रघुनाथ के दर्शनों को उमड़ी रही और देवी देवताओं के रथ भी रथ मैदान से लेकर भगवान रघुनाथ के अस्थाई शिविर तक चलते रहे।
भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भगवान रघुनाथ 7 दिनों तक अपने अस्थाई शिविर में रहेंगे और भगवान रघुनाथ की यहां पर विशेष पूजा अर्चना भी की जाएगी। श्रद्धालु भी यहां पर भगवान रघुनाथ के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। लंका दहन के बाद भगवान रघुनाथ वापस अपने मंदिर की ओर लौट जाएंगे। वही, दशहरा उत्सव देखने पहुंचे विदेशी और देसी सैलानियो ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव के बारे में पहले भी काफी सुना था और आज उन्होंने देव संस्कृति को काफी नजदीक से देखा है। जिला कुल्लू की देव संस्कृति अपने आप में अनूठी है और देवताओं का मिलन देखकर वो भी भाव विभोर हो गए। भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए और इस यात्रा में भाग लेकर वो अपने आप को खुशनसीब मानते हैं।