फोरलेन के भू-अधिग्रहण अवार्ड से संबंधित 100 याचिकाएं खारिज
न्यायालय ने मध्यस्थ न्यायलय के फैसले रखे बरकरार
मंडी। जिला न्यायधीश के न्यायलय ने मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत दायर करीब सौ याचिकाओं को खारिज करने के फैसले सुनाए हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण तथा राजमार्ग के निर्माण से प्रभावितों ने सुलह अधिनियम के तहत मध्यस्थ मंडलायुक्त के अवार्डों को जिला न्यायालय में याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी थी। गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा चंडीगढ़-मनाली और पठानकोट-मंडी राजमार्गों को फोरलेन करने का काम इन दिनों जारी है। फोरलेन के निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण किए जाने से जिला बिलासपुर, मंडी और कुल्लू के हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। जिला न्यायलय और मध्यस्थ न्यायलय में इस समय भू अधिग्रहण के अवार्ड से संबंधित सैंकडों याचिकाएं लंबित हैं। इनमें से अनेकों मामलों का निस्तारण भी हो चुका है। अधिकांश मामलों में राजमार्ग प्राधिकरण ने प्रभावितों के अवार्डों को मध्यस्थ न्यायाय द्वारा बढाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाएं हैं। जिला न्यायालय में राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर से मंडी जिला की औट तहसील के नगवाईं निवासी संगत राम, रमेश उर्फ नरेश, चिंता देवी, दया राम, रमेश, महेश्वर शर्मा, उर्मिला शर्मा, मेघ सिंह, नीमो देवी, टकोली निवासी प्रोमिला शर्मा, राम चंद, नर्वदा देवी, नरोतम राम, कोटाधार निवासी तेज राम, मंडी शहर की समखेतर मुहल्ला निवासी सुशीला, लोअर समखेतर निवासी धनेश्वरी देवी, बल्ह तहसील के डडौर (ढाबण) निवासी अनिल कुमार, नरैण सिंह, भगवान सिंह, चरंजी लाल, भनारड (रजवाडी) निवासी चंद्रावती राणा, नागचला निवासी रोशन लाल गुप्ता, रोडा निवासी सुभाष चंद, चल्लखा (भंगरोटु) निवासी श्याम लाल, अनिल कुमार, मोहनी देवी, सुंदरनगर तहसील के अलसू (डैहर) निवासी ओम प्रकाश, ठाकुर दास, जरल (जुगाहण) निवासी ओंकार नाथ, ओम प्रकाश, लीला देवी, कला देवी, मूल राज, देव राज शर्मा, पुष्प राज शर्मा, मंजुला, कंचन, भूपेश्वरी, अरूण कांत, अर्चना, भरजवाणु (जुगाहण) निवासी प्रेम पाल, दुर्गा दास, डोढ़वां (भोजपुर) निवासी हिमांशु राम, पुष्पा, रमेश कुमार, संजीव कुमार, सरस्वती देवी, ललिता कुमारी, नीलम कुमारी, देरडु (कपाही) निवासी रोशन लाल, किशोरी लाल, कुलदीप सिंह, अमर सिंह, कनैड निवासी रूलदू राम, दिला राम, भौर (कनैड) निवासी देव राज, योग राज, सदर तहसील के सन्यारढ़ (तल्याहड) निवासी रजनी, सांबल (पंडोह) निवासी सरोज, चूडामणी, जागर निवासी महेश्वर सिंह, राम लाल, कोटली तहसील के साईगलू निवासी ललिता देवी, बृज किशोर, और लेगेश्वर सिंह आदि के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। इसके अलावा प्राधिकरण की ओर से जिला बिलासपुर की झंडूता तहसील के धारादसानी निवासी जीवन कुमार और जगदीश, बेरी दरोलन (बैहना-जट्टन) निवासी दया राम, धरसाणी (ऋषिकेश) निवासी दीक्षा, शीला देवी, निर्मला देवी, बलबीर सिंह, मरहोहियां (ऋषिकेश) निवासी गुरबचन कौर, अमरजीत सिंह, सर्वजीत सिंह, शमशेर सिंह, सरणजीत कौर, घुमारवीं तहसील के रोहिन (पनोह) गांव निवासी सुख राम, रत्तन लाल, हरीचंद, कर्म चंद, चिंता देवी, रूप लाल, राज कुमार, विद्या देवी, उर्मिला कुमारी, औहर गांव निवासी कृष्ण लाल, परषोतम, गुजरा (रोहण) निवासी गंगा प्रसाद शर्मा, कलार (औहर) निवासी सीता राम, भानु प्रताप सिंह, सोनिया कुमारी, रामप्यारी, हरबंश लाल, भीम राव जीवन, रमा भाटिया, भगवंत कौर, मनोज कुमार, शशीकांत, सुरेन्द्रा कुमारी और रेनू बाला आदि के खिलाफ दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। अदालत ने प्राधिकरण की ओर से जिला कुल्लू के डोभी निवासी गायत्री प्रकाश, देओधार (नियुली) निवासी मोहित कुमार, भुंतर तहसील के जरड (पिपलागे) निवासी तीर्थ राम, तरांबली (बाड़ी) निवासी सुरेन्द्र कुमार, हाथीथान निवासी अजीत कुमार, जिया निवासी दीने राम, चेत राम, ओम प्रकाश, कुदर चंद, हुक्म राम, जिंगबो राम बौध, डोहलूनाला (डोभी) निवासी बिमला, बरफू राम, कटराईं निवासी हरी राम, मनाली तहसील के बडाग्रां निवासी श्याम चंद, राम लाल, प्रकाश नेगी, गंगा देवी, उर्गयान डोलमा, कृष्णा, अरूण कुमार, सियाल गांव निवासी चरण दास, सरसाई निवासी सेवानिवृत कर्नल सोनम अंगरूप बौध और थासी बराह निवासी शेर सिंह के खिलाफ दायर याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। इसके अलावा राजमार्ग से प्रभावित हुए औट तहसील के टकोली निवासी बंसी लाल, सुंदरनगर तहसील के चौक निवासी गंगा राम, सदर तहसील के मासड निवासी बबलू राम, सांबल निवासी पूरण चंद, बिमला देवी, खेम सिंह, बलदेव, भूप सिंह, विजय कुमारी, केहर सिंह और सुंदरी आदि ने भी मध्यस्थ के अवार्ड को चुनौती दी थी। जिला न्यायाधीश ने याचिकाओं के फैसले में कहा कि तथ्यों, परिस्थितियों और साक्ष्यों से यह साबित नहीं हुआ है कि अवार्ड को किसी धोखाधडी, भ्रष्टाचार करके या भारतीय कानून के किसी मूल नीति और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अवहेलना करके पास किया गया है। याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए कि मध्यस्थ के अवार्ड किस तरह पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। जिला अदालत ने उच्चतम न्यायलय के फैसलों में दी गई व्यवस्थाओं और मामलों के तथ्यों के आधार पर यह माना कि मध्यस्थ ने तथ्यों का सही तरीके से और सत्यता पूर्वक मूल्यांकन किया है। अदालत ने कहा कि मध्यस्थ के अवार्ड में किसी तरह की अयोग्यता, अवैधता और अनियमितता नहीं है। ऐसे में अदालत ने अवार्ड को बरकरार रखते हुए याचिकाओं को निरस्त करने के फैसले सुनाए हैं।