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कुल्लू की देव संसद में बिजली महादेव रोपवे के खिलाफ बड़ा निर्णय, जानें

देवताओं ने बिजली महादेव रोपवे का किया विरोध, कहा – “देव स्थलों से छेड़छाड़ न की जाए।” ढालपुर मैदान, गोमाता और पर्यावरण पर भी जारी हुए देव आदेश।

कुल्लू में देव संसद का आदेश – देव स्थलों की पवित्रता से छेड़छाड़ न हो
बिजली महादेव रोपवे का देवताओं ने जताया विरोध, कहा धार्मिक ऊर्जा से न करें खिलवाड़
ढालपुर मैदान और गोमाता को लेकर भी जारी हुए देव आदेश, किया सामूहिक यज्ञ का आह्वान


कुल्लू। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में प्रस्तावित बिजली महादेव रोपवे प्रोजेक्ट का विरोध अब देव समाज ने भी खुलकर कर दिया है। मनाली के नग्गर कैसल परिसर स्थित जगती पट मंदिर में शुक्रवार को आयोजित देव संसद (जगती) में कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति जिलों के लगभग 240 देवी-देवताओं ने अपने-अपने गूरों और पुजारियों के माध्यम से भाग लिया।

इस देव संसद में देवताओं ने आदेश दिया कि किसी भी प्रकार से देव स्थलों की पवित्रता के साथ छेड़छाड़ न की जाए। देवता प्रतिनिधियों ने कहा कि देव ऊर्जा से परिपूर्ण स्थलों को पर्यटन स्थलों की तरह विकसित करने की कोशिशें अशुभ और अस्वीकार्य हैं।

देव संसद में यह भी निर्णय हुआ कि बिजली महादेव के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना को तुरंत रोका जाए, क्योंकि ऐसे प्रोजेक्ट पर्यावरण और आध्यात्मिक संतुलन को प्रभावित करते हैं। देवताओं ने चेताया कि व्यावसायिक निर्माण और अंधाधुंध पर्यटन से न केवल प्रकृति का असंतुलन बढ़ेगा, बल्कि देव चेतना भी आहत होगी।

देव प्रतिनिधियों ने कहा कि देव नीति का निजी लाभ या राजनीतिक उपयोग अनुचित है। ढालपुर मैदान पर हो रहे निर्माण को लेकर भी देवता नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि ढालपुर केवल मैदान नहीं, बल्कि कुल्लू घाटी की देव ऊर्जा का केंद्र है। वहां की खोदाई और असंवेदनशील निर्माण से देव समाज दुखी है।

देव आदेश में यह भी कहा गया कि गोमाता को लावारिस न छोड़ा जाए, और हर गांव-नगर में उनकी सेवा सुनिश्चित हो। माता त्रिपुरा सुंदरी ने आदेश दिया कि ढालपुर मैदान में काहिका करवाया जाए, ताकि देव क्रोध शांत हो सके।

जगती पट मंदिर के कारदार महेश्वर सिंह ने कहा कि देवताओं ने एक सुर में कहा है – “अभी तो हमने एक लोटा ही फेंका है, अगर लोग नहीं सुधरे तो ब्यास का जल रघुनाथ के चरणों तक पहुंचेगा।” यह प्रतीकात्मक चेतावनी समाज के प्रति देवताओं की गहरी असंतुष्टि को दर्शाती है।

देव समाज ने लोगों को चेताया कि अगर देव परंपरा और आदेशों का दुरुपयोग प्रचार या सत्ता लाभ के लिए किया गया, तो देव क्रोध का सामना करना पड़ेगा। देवताओं ने अंत में सामूहिक प्रायश्चित यज्ञ करने का आदेश दिया, ताकि लोगों पर आई विपत्तियों से रक्षा हो सके।

Published On : 01 November 2025

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