सतीश ठाकुर
मंडी। वन विभाग का जाएका प्रोजेक्ट जंगलों में हरियाली लाने के साथ महिलाओं कीे आर्थिकी मजबूत करने का भी साधन बन गया है। प्रोजेक्ट के तहत नाचन वन मंडल में अब तक लगभग डेढ़़ करोड़ रूपये खर्च किए जा चुके है। चैलचौक विश्रामगृह में आयोजित एक दिवसिय कार्यशाला में गत वर्ष में जाएका के तहत हुए कार्यों की समीक्षा की गई जिसमें स्वयं सहायता समूहों और वन समितियों ने भाग लिया। वनमंडलाधिकारी सुरेंद्र कश्यप ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से जापान के सहयोग से संचालित वन विभाग के जाएका प्रोजेक्ट से नाचन के ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाली के साथ स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जा रहा है। साथ ही वन विभाग की खाली पड़ी भूमि पर सदाबहार पौधे लगाने के साथ खत्म हो रही वन वनस्पति की दुर्लभ प्रजातियों सहित वन संपदा का इस योजना के जरिए संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होने बताया कि जाएका के तहत नाचन में 14 स्वयं सहायता समूह और 6 वन विकास समितियां काम कर रही है। जिनके माध्यम से वन के विस्तार के लिए लगभग 250 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधरोपण से लेकर वनों का सौंदर्यकरण किया गया। नाचन वन मंडल में नई नर्सरियों में विभिन्न प्रजातियों की पौध त्यार की गई। रास्ते, पेयजल स्रोतों, चेकडैम, कुड़ादान लगाने सहित मंदिरों का जीणोद्वार किया गया। विभिन्न स्वयं सहायता समूहांे के द्वारा बनाए गए उत्पादों को बिक्री हेतू दुकान खेली गई है जहां पर लोकल उत्पाद उपलब्ध है। कार्यशाला में बागवानी विषयवाद विशेषज्ञ दिपिका गुलेरिया ने बताया कि जायका प्रोजेक्ट 2018 से लेकर 2028 तक काम करेगा। इसके तहत अब तक विभिन्न कार्यों पर 1.50 करोड़ रूपये खर्च किए जा चुके है। प्रोजेक्द्यट के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं। कार्यशाला में विभिन्न स्रोत व्यक्ति बिंदर ठाकुर, डा. लालसिंह, बीपी पठानिया ने जड़ी बुटियों से लेकर पौधों से औषध का दोहन और मशरूम उत्पादन से संबधित जानकारी प्रदान की ।
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